माँ गोमती की अविरल निर्मल व नैसर्गिक प्रवाह को जीवंत करने के लिए सर्वप्रथम देश का संत समाज, सभ्य समाज , पर्यावरण प्रेमी व सामाजिक संगठन और विभिन्न संस्थानों से आये वैज्ञानिक व आम जनता, पहली बार एक मंच पर एकत्रित हुई और माँ गोमती को मनाने का संकल्प किया !
इससे एक ऐतिहासिक यात्रा की पहल हुई, जो हर एक बिन्दुओ का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया !
सबसे पहले इसकी पृष्ठभूमि कहा से तैयार हुई ,यह बताना आवश्यक हो जाता हैं ! इस यात्रा का वास्तविक स्वरूप सर्व प्रथम जवाहर लाल नेहरु युवा केंद्र , लखनऊ में लोक भारती उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में आयोजित "माँ गंगा समग्र गोष्ठी चिंतन " में लिया गया !
चूँकि यह एक यात्रा दर्शन है , इसमें अपने मौलिक विचारो को लयबद्ध करने की बजाय इसमें रोचकता का भाव भरने का प्रयास करूंगा !
सर्व प्रथम आइए एक परिचय हो जाय ,आप वेंकटेश दत्ताजी अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं हम लोग उन्हें दत्ता गुरुदेव भी कहते हैं लेकिन सामने नहीं ! और उनके साथ जिन चार छात्रो का अध्यन दल चल रहा हैं, दो पर्यावरण विभाग के और दो जनसंचार व पत्रकारिता विभाग के हैं !
पर्यावरण विभाग के विनायकजी कला ,ज्ञान- विज्ञान और साहित्य का अच्छा ख़ासा अनुभव रखते हैं ,आप उन्हें अम्बेडकर विश्वाविद्यालय के विभिन्न मंचो पर आसानी से देख सकते हैं !
उनके समकक्ष शमशादजी पर्यावरण विभाग की शान और प्रायोगिक ज्ञान के हैं प्रख्यात इंसान !
अपनी शालीनता से काफी लोगो को प्रभावित किया करते हैं ,आप कभी भी मिल सकते हैं वो भी प्रयोगशाला में लेकिन खोजने पर !
हमारे तीसरे होनहार छात्र पत्रकारिता विभाग से हैं अनंतजी, जो एक युवा क्रांतिकारी कवि हैं ,जो अपनी ओजस्वी कविताओं जगह -जगह उद्बोदित करते मिल जायेंगे ,अगर आपको इनसे मिलना हैं तो पास जाने की जरूरत नहीं हैं ,आप इन्हें दूर से पहचान सकते हैं ,चेहरे से नहीं आवाज़ से !
मैं अपना परिचय करा देता हूँ ,इस यात्रा में स्वागत और परिचय का काफी महत्व हैं !
इसलिए आपका ध्यान विशेष रूप से कराना चाहूँगा! "अरे भाई ,में आपसे कह रह रहा हूँ '
पडोसी से नहीं ! संदीप मैं नहीं, आप आगे "जी " लगा सकता हैं ,इन महाशय को हर एक चीज़ का अल्प ज्ञान हैं और उसे पूर्ण ज्ञान में परिवर्तित करने के लिए यात्रा में जा रहे हैं !
चूँकि यह एक ज्ञान यात्रा तो आप भी इसे एक ज्ञान के तौर पर लीजियेगा ,ये मै नहीं कह रहा हूँ ,अरे भाई, हमारे गुरुदेव का "कथन" हैं !
चूँकि यात्रा प्राम्भ होने से पहले सांकेतिक तौर पर काफी सभाए हुई और तथा कथित तौर यात्रा की योजनाओ के विवरण पर खुल कर चर्चा की गयी ,एक-एक बिंदु पर गहन चर्चा की गयी और उसका सूक्ष्म विश्लेषण हुआ !
हर एक चिंतनीय मसलो को विशेष स्थान दिया गया !,
अभी तक आप लोगो से विस्तृत परिचय कराया गया चूँकि आज पहला दिन है अब यात्रा की सांकेतिक शुरुआत की जाये !
अभी तक आप लोगो से विस्तृत परिचय कराया गया चूँकि आज पहला दिन है अब यात्रा की सांकेतिक शुरुआत की जाये !
प्रथम दिन - दिनांक २६ मार्च २०१० ,दिन शनिवार
स्थान - खाटू श्याम मंदिर लखनऊ
सारी तैयारिया देर पूरी हो चुकी थी , बस अगली सुबह सबको जाना था ,अध्यन दल के एक छात्र आज काफी पहले जाग गए थे, अन्य तीन छात्रो को जागने से पहले ईश्वर का वंदन -अभिनन्दन किया और गीता के दो चार श्लोको से सबको मानव धर्म का एहसास कराया !
फिर सभी समय से तैयार हो गए ,अब बस जुगाड़ में जुट गए सुबह -२!
आपको पता है भाई, गोमती-गंगा यात्रा में जा रहे तो साथ में कुछ तो जाना चहिये वही चश्मा-वाश्मा !
आपको पता है भाई, गोमती-गंगा यात्रा में जा रहे तो साथ में कुछ तो जाना चहिये वही चश्मा-वाश्मा !
फिलहाल हमारे विनायकजी सुबह से गुरुदेव के सम्पर्क में थे ,सो सही समय पर सारथि पवन के साथ गुरदेव टोयटा लम्बी वाली गाडी लेकर पहुचते हैं और डिपार्टमेंट से water sample kit लेते हैं और फिर यात्रा के उद्घाटन बिंदु की ओर निकल पड़ते हैं!
और गुरुदेव के नेतृत्व में चारो छात्रो का परिचय वहां उपस्थित लोगो से ओपचारिक रूप से परिचय कराया जाता हैं उनमे से काफी लोग एक दुसरे को जानते -पहचानते रहते हैं !
जैसे ब्रिजेन्द्र पाल सिंहजी संगठन मंत्री लोकभारती ,उत्तर प्रदेश ,गोपालजी यात्रा सह सयोंजक और इस यात्रा के संयोजक नरेन्द्र मेहरोत्रा जी पूर्व वरिस्थ वैज्ञानिक CDRI और आजकल परंपरागत औशधि पद्दती पर इनका कार्य चल रहा हैं और एक संस्था भी चलाते हैं !
चंद्रभूषण तिवारी जी एक लाख वृक्ष लगाने का संकल्प लिया हैं ५८००० हज़ार लगा चुके हैं, इनके ऊपर discovery channel ने documentaary फिल्म बनायीं हैं और देश के प्रतिष्ठित पत्रिकाए जैसे इंडिया टुडे ने इनके कार्य को सराहा हैं और राजकीय अतिथि के तौर उन्हें सम्मनित किया गया हैं !
जैसे ब्रिजेन्द्र पाल सिंहजी संगठन मंत्री लोकभारती ,उत्तर प्रदेश ,गोपालजी यात्रा सह सयोंजक और इस यात्रा के संयोजक नरेन्द्र मेहरोत्रा जी पूर्व वरिस्थ वैज्ञानिक CDRI और आजकल परंपरागत औशधि पद्दती पर इनका कार्य चल रहा हैं और एक संस्था भी चलाते हैं !
चंद्रभूषण तिवारी जी एक लाख वृक्ष लगाने का संकल्प लिया हैं ५८००० हज़ार लगा चुके हैं, इनके ऊपर discovery channel ने documentaary फिल्म बनायीं हैं और देश के प्रतिष्ठित पत्रिकाए जैसे इंडिया टुडे ने इनके कार्य को सराहा हैं और राजकीय अतिथि के तौर उन्हें सम्मनित किया गया हैं !
वहां पर कई और महा नुभाओ से मुलाक़ात होती हैं जिनके नाम याद रख पाना थोडा मुश्किल हैं !
जहागीराबाद मीडिया संस्थान चार नए छात्र जो अध्यन दल में वहां से जुड़ते हैं!
जहागीराबाद मीडिया संस्थान चार नए छात्र जो अध्यन दल में वहां से जुड़ते हैं!
मुख्यत अध्यन दल को इनमे से दो छात्रो की जरूरत थी परन्तु इनमे से दो अनुभव के लिए यात्रा कर रहे हैं जो एक वृतचित्र पर कार्य करेंगे ! ,अम्बेडकर विश्वविद्यालय उन चार छात्रो में से दो को water sampling और analysis का कार्य दिया गया हैं और पत्रकारिता के दोनों छात्रो में से एक रिपोर्टिंग और दुसरे को कैमरा का कार्य दिया गया हैं !
चूँकि एक धार्मिक स्थल से यात्रा शुरू हो रही होती, तो पूजन का कार्य होता हैं ,
तिलक लगा कर सभी जल यात्रिओ को फूल माला पहनाया जाता हैं !
अपार जनसमूह एकत्रित होने के बाद भी कार्यकरता की कमी रहती हैं सो अध्यन दल के छात्रो को थोडा मेहनत का कार्य करना पड़ता हैं !
यात्रा का शुभारम्भ करने के लिए मुख्य अतिथ्ती के तौर पर काफी लोगो को एक साथ आमंत्रित किया गया गया था, सो कुछ मुख्य अतिथतियो की इस पर नाराजगी खुल कर सामने आई !
परन्तु अपने चिर परिचित अंदाज़ में ब्रिजेंद्रजी ने उन परिस्थितयो को अपने कुशल प्रबंधन से सारा कार्य बहुत प्रभाव पूर्ण तरीके से किया !
लखनऊ के मेंयर दिनेश शर्माजी यात्रा का उद्घाटन किया और सफलता की कामना की!
और इस तरह से यात्रा की शुरआत जय माँ गोमती के उद्घोष से आरम्भ हुई!
और इस तरह से यात्रा की शुरआत जय माँ गोमती के उद्घोष से आरम्भ हुई!
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