Saturday, April 16, 2011

यात्रा दर्शन- गोमती-गंगा यात्रा प्रथम दिन - "दूसरा चरण"

इस तरह से दो नावो पर अध्य न दल सवार हो जाता हैं और साथ ही साथ अन्य लोग भी शामिल हो जाते  हैं !
सबके गले में फूलो की माला लदी हुई होती हैं ,और  चेहरे  का तेज देखने लायक ही था !
जल यात्रा खाटू श्याम मंदिर से काली मंदिर तक जाती हैं ,और ये लगभग २ घंटे की जलयात्रा  होती है !
इसी बीच सब अपनी दायित्यो  की खानापूर्ति   में लग जाते हैं ,कोई जल की भयावाह स्तिथियों देखकर चिंतित होते हैं ! गुरुदेव भी हर समस्यायों की पीछे वैज्ञानिक पह्लुए तलाशते हैं और कोई नदियों  के प्रति   उदासीनता के लिए सरकार का दोषारोपण करते हैं.!

गुरुदेव के साथ माँ गोमती की गोद में सभी जल यात्री -स्थान  लखनऊ 


माँ गोमती का एक मनोरम दृश्य -स्थान लखनऊ 
 एक  महाशय कैमरामेंन से बोलते हैं ,लॉन्ग शाट लो ,इधर देखो कितनी प्रॉब्लम स हैं इसका भी एक आना चाहिए ! उसका भी एक शाट आना चाहिए ! इस तरह से शनिदेव मंदिर पहुचते ही सभी लोग दर्शन करते हैं ,वहां पर भिखारियों का व अपाहिजों का एक जत्था किनारे बिछा हुआ था ,और छोटे छोटे बच्चे पीछे -पीछे दौड़ रहे थे ! भैया जी एक रुपया -२ हमको भी ,इतना सब कुछ हो जाए और अनंत का दर्द न जागे असंभव !कापी थमाया पाठक बाबा को ,केमरा लिए निकल पड़े एक के बाद एक  MB से GB में  CONVERT करते  रहे  !

फिर यात्रा का काफिला आगे बड़ा स्वागत परिचय के साथ माधो टांडा  पीलीभीत जहा से माँ गोमती का उद्गम स्थल हैं वह के लिए प्रस्थान हुआ !चूँकि गाड़ी लम्बी थी ,सो एक मुख्यअथिति  भी सवार हो लिए ! चलिए 
एक संक्षिप्त परिचय हो जाय !

आपका का वंशानुगत नाम आनंद पाण्डेय है ,जो इलाहबाद विश्यविद्यालय के पूर्व छात्र नेता  व महामंत्री रह चुके हैं ,लगातार कई वर्षो स्वामी परमहंस दास के परम शिष्यों में से एक हैं ,इनका पूरा जीवन माँ गंगा के लिए समर्पित हैं ,और गंगा सेवा मिशन  के तहत इन्होने एक बड़ा आन्दोलन खड़ा किया हैं ! और उत्तराखंड में ही नहीं पूरे देश के दो तंत्र के चूले हिला दिए हैं इस पर इनको भारी जन समर्थन प्राप्त हैं !
इनकी मुख्य लड़ाए सरकार व कार्पो रेट हाउस  से हैं ,जो माँ गंगा की अविरल ,स्वच्छ  व नैसर्गिक धा रा  को विकास के नाम पर जगह -जगह बांध बनाकर खरबों MLD Water बड़े मेट्रो श हरो जैसे दिल्ली को  सप्लाई किया जाता हैं ,घरेलू व औद्योगिक  कूड़े -कचरे  को माँ की गोद में बहाया जा रहा हैं ,आज माँ गंगा का अस्तित्व संकट में हैं ,इसके लिए इनका योगदान सरहानीय रहा हैं ! इनसे हमारे गुरुदेव व छात्र बंधू बहूत प्रभावित हैं ,और स्वामीजी के साथ एक सुरक्षा के लिए एक गार्ड पंजाब पोलीस ने दिया हैं व उत्तराखंड के पोलीस इनके सुरक्षा दस्ते में हैं ! इस तरह यात्रा में आगे बढ़ते रहे और राष्ट्र के गंभीर मुद्दों पर जैसे की राजनीतिक ,आर्थिक सामजिक व पर्यावरण पर काफी चर्चा हुई ,इसी बीच सबका परिचय भी हो चूका था ,इस तरह से बकशी का तालाब क्रास करते हुए एक बाज़ार में रुके ,काफी पिछड़ा क्षेत्र था ,कुछ भी खाने-पीने के लिए ढंग से नहीं था !
इतनी लम्बी गाडियों की लाइन व सुरक्षा व् स्था देखकर बाज़ार के लोग के बीच का आकर्षण का केंद्र बने हुए थे!
तभी गरीब  बंजारों का एक झुण्ड  आकर घेर लिया ,एक नया संकट आ खड़ा हुआ और वे सब अजीबो -गरीब तरीके से पीछे पड़ गए ! ऐ बाबु  ,ऐ भैया पैसा दे ! हमारा बच्चा कई दिनों से कुछ खाया नही हैं! कुछ लोगो ने मदद भी की पर तब तक पीछा नहीं छूटा जब तक वह से चल नहीं दिए.!
अविश्वासनिय भारत -एक नजर सीतापुर जिले पर 

अविश्वासनिय भारत -एक नजर सीतापुर जिले पर 

यात्रा के दौरान गुरुदेव के भक्तिमय भजन से लोगो ने ईश्वर का वंदन अभिनन्दन किया ! विनायकजी  शमशाद भाई  और सभी लोगो ने अपनी कविता व गीत के माध्यम से अपनी मनोभावों को जीवंत करने की कोशिश की ! अनंतजी की क्रांतिकारी कविताएं गुरुदेव व स्वामीजी को काफी प्रभावित किया ! और स्वामीजी ने सभी लोगो को हरिद्वार आने का निमंत्रण दे डाला !
और फिर कुछ समय बाद हम लोग विनोबा भावे सेवा आश्रम  ,शाहजहाँपुर में पहुचे ! वह पर सांकेतिक रूप से परिचय हुआ ,यात्री गण ने जलपान व थोडा भारी-भरकम  शाम का नाश्ता किया  ! वहां पर रमेश भैया जी के बारे में जाने का मौका मिला !
एक महान व्यक्तित्य जो पूरे देश में ३५००० किलोमीटर की पैदल यात्रा कर चुके हैं ,उन्होंने जनजागरण का महा अभियान चलाया था ! और साथ ही साथ उनके ऐसे मॉडल को देखने का मौका मिला जो शाजहाँ पुर में ही नहीं पूरे  देश  एक मिशाल हैं ! वह पर उनके आश्रम को देखने का मौका मिला !
जहाँ पर गायो की सेवा व जविक खेती देखकर मन ओत -प्रोत हो गया ! ये ,वे गाये थी जो व्यापारियो द्वारा  बूचड़ खाने में काटने के लिए जाती थी ! और पुलिस जब पकड़ लेती थी तब इनको सूचना देकर उन गायो को सौप देती थी ! जिनमे कुछ के पैर ही नहीं होते थे, या तो ,क़स के बंधे होने के नाते कट जाते थे ! उस मार्मिक दृश्य को देख कर मन उद्वेलित कर देने वाला था ! उनके इस कार्य के लिए लोगो ने काफी सराहना की ! वास्तव में उनकी करुनामयी व्यक्तित्य को हम सलाम करते हैं ! उन्होंने आत्मनिर्भरता का जो मॉडल खड़ा किया,उसके लिए राजकीय व राष्ट्रीय  स्तर  पर कई   बार सम्मानित किया गया !
उन्हों ने जो आत्मनिर्भरता का जो बीज बोया वो ,आज पूरे देश में फ़ैल रहा हैं !
विनोबा भावे सेवा आश्रम 

इस मॉडल में जविक खाद बनाने की विधि ,वर्मी कम्पोस्टिंग  ,मधुमक्खी पालन  ऐसे कई कार्य कर दिखाए वो भी उस जमीं  पर जो वर्षो से बंजर पड़ी थी !उन सभी मार्मिक प लो को कैमरे में कैद किया गया ! और फिर हम लोग माधो टांडा की तरफ प्रस्थान किया ,और रास्ते में गुरुदेव, स्वामीजी को अपने GPS से स्तिथियों का जायजा कराते रहे !और पूरे रास्ते में जीवंत चर्चा होती रही !  हम लोग माधो टांडा के निकट एक गुरूद्वारे में पहुचे प्रसाद ग्रहण व  विश्राम किया ,रत्रिविश्राम के लिए ठाकुर बाड़ी पहुचे ! वह पर वह के स्थानीय लोगो से परिचय कराया गया और कल से शुरू  होने वाली यात्रा के लिए विभिन्न पहलुओ पर विचार -विमर्श किया गया !
इस तरह से पहले दिन की यात्रा दो चरणों में समाप्त हुई ! सांकेतिक रूप से हम  एक दुसरे को जानते थे ,इस वजह से थोड़ी बोरियत महसूस हुई लेकिन एक के बाद एक दिन अच्छा गुजरता गया !

Monday, April 11, 2011

यात्रा दर्शन- गोमती-गंगा यात्रा प्रथम दिन - "प्रथम चरण"


माँ गोमती की अविरल निर्मल नैसर्गिक प्रवाह को जीवंत करने के लिए सर्वप्रथम  देश का संत समाज,  सभ्य समाज , पर्यावरण प्रेमी   सामाजिक संगठन  और विभिन्न संस्थानों से आये वैज्ञानिक आम जनता,  पहली बार एक मंच पर एकत्रित हुई  और माँ गोमती को मनाने  का संकल्प किया !
इससे  एक ऐतिहासिक यात्रा की पहल हुई, जो हर एक बिन्दुओ का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया !
सबसे पहले इसकी पृष्ठभूमि कहा से तैयार हुई ,यह बताना आवश्यक हो जाता हैं ! इस यात्रा का वास्तविक स्वरूप सर्व प्रथम  जवाहर लाल नेहरु युवा केंद्र , लखनऊ में लोक भारती उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में आयोजित "माँ गंगा समग्र गोष्ठी चिंतन "  में  लिया गया !
चूँकि यह एक यात्रा दर्शन है , इसमें अपने मौलिक विचारो को लयबद्ध करने की बजाय इसमें रोचकता का भाव भरने का प्रयास करूंगा !

सर्व प्रथम आइए एक परिचय हो जाय ,आप वेंकटेश दत्ताजी अम्बेडकर केंद्रीय  विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं हम लोग उन्हें दत्ता गुरुदेव भी कहते हैं लेकिन सामने नहीं ! और उनके साथ  जिन चार छात्रो का अध्यन दल चल रहा हैं,  दो पर्यावरण विभाग के और दो जनसंचार पत्रकारिता विभाग के हैं !
पर्यावरण विभाग के विनायकजी  कला ,ज्ञान- विज्ञान और साहित्य का अच्छा ख़ासा अनुभव रखते हैं ,आप उन्हें अम्बेडकर विश्वाविद्यालय  के विभिन्न मंचो पर आसानी से देख सकते हैं !
उनके समकक्ष शमशादजी पर्यावरण विभाग  की शान और प्रायोगिक ज्ञान के हैं प्रख्यात इंसान !
अपनी शालीनता से काफी लोगो को प्रभावित किया करते हैं ,आप कभी भी मिल सकते हैं वो भी प्रयोगशाला में लेकिन खोजने पर !
हमारे तीसरे होनहार छात्र पत्रकारिता विभाग से हैं अनंतजी, जो एक युवा क्रांतिकारी कवि हैं ,जो अपनी ओजस्वी कविताओं जगह -जगह उद्बोदित करते मिल जायेंगे ,अगर आपको इनसे मिलना हैं तो पास जाने की जरूरत नहीं हैं ,आप इन्हें दूर से पहचान सकते हैं ,चेहरे से नहीं आवाज़ से !
मैं अपना परिचय करा देता हूँ ,इस यात्रा में स्वागत और परिचय का काफी महत्व हैं !
इसलिए आपका ध्यान  विशेष  रूप से कराना चाहूँगा! "अरे भाई ,में आपसे कह रह रहा हूँ '
पडोसी  से नहीं ! संदीप मैं  नहीं, आप आगे "जी " लगा सकता हैं ,इन महाशय को हर एक चीज़ का अल्प ज्ञान हैं और उसे पूर्ण ज्ञान में परिवर्तित करने के लिए यात्रा में जा रहे हैं !
चूँकि यह एक ज्ञान यात्रा तो आप भी इसे एक ज्ञान के तौर पर लीजियेगा ,ये मै  नहीं कह रहा हूँ ,अरे भाई, हमारे गुरुदेव का "कथन" हैं !
चूँकि यात्रा प्राम्भ होने से पहले सांकेतिक तौर पर काफी सभाए हुई  और तथा कथित  तौर यात्रा की योजनाओ  के विवरण पर खुल कर चर्चा की गयी ,एक-एक बिंदु पर गहन चर्चा की गयी और उसका सूक्ष्म विश्लेषण हुआ !
हर एक चिंतनीय मसलो को विशेष स्थान दिया गया !,
अभी तक आप लोगो से विस्तृत परिचय कराया गया चूँकि आज पहला दिन है अब यात्रा की सांकेतिक शुरुआत की जाये !

                  प्रथम दिन - दिनांक २६ मार्च २०१० ,दिन शनिवार
                                    स्थान - खाटू श्याम मंदिर लखनऊ 

सारी तैयारिया देर  पूरी हो चुकी थी , बस अगली सुबह सबको जाना था ,अध्यन दल के एक छात्र आज काफी पहले जाग गए थे, अन्य तीन छात्रो को जागने से पहले ईश्वर का वंदन -अभिनन्दन किया  और गीता के दो चार श्लोको से सबको मानव धर्म का एहसास कराया !
फिर सभी समय से तैयार हो गए ,अब बस जुगाड़ में जुट गए  सुबह -२!
आपको पता है भाई, गोमती-गंगा यात्रा में जा रहे तो साथ में कुछ तो जाना चहिये वही चश्मा-वाश्मा !

फिलहाल हमारे विनायकजी सुबह से गुरुदेव के सम्पर्क में थे ,सो सही समय पर सारथि पवन के साथ गुरदेव टोयटा लम्बी वाली गाडी लेकर पहुचते हैं और डिपार्टमेंट से water sample kit लेते हैं और फिर यात्रा के उद्घाटन बिंदु की ओर निकल पड़ते  हैं!
और गुरुदेव के नेतृत्व में चारो छात्रो का परिचय वहां  उपस्थित लोगो से ओपचारिक रूप से परिचय कराया जाता हैं उनमे से काफी लोग एक दुसरे को जानते -पहचानते रहते हैं !
जैसे ब्रिजेन्द्र पाल सिंहजी संगठन मंत्री लोकभारती ,उत्तर प्रदेश ,गोपालजी यात्रा सह सयोंजक और इस यात्रा के संयोजक नरेन्द्र मेहरोत्रा जी पूर्व वरिस्थ  वैज्ञानिक CDRI और आजकल परंपरागत औशधि पद्दती पर इनका कार्य चल रहा हैं और एक संस्था भी चलाते हैं !
चंद्रभूषण तिवारी जी एक लाख वृक्ष लगाने का संकल्प लिया हैं ५८००० हज़ार लगा चुके हैं, इनके ऊपर discovery channel ने documentaary  फिल्म बनायीं हैं और देश के प्रतिष्ठित पत्रिकाए जैसे इंडिया टुडे ने इनके कार्य को सराहा हैं और राजकीय अतिथि के तौर उन्हें सम्मनित किया गया हैं ! 
वहां पर कई और महा नुभाओ से मुलाक़ात होती हैं जिनके नाम याद रख पाना थोडा मुश्किल हैं !
जहागीराबाद मीडिया संस्थान चार नए छात्र जो अध्यन दल में वहां से जुड़ते हैं!
मुख्यत अध्यन दल को इनमे से दो छात्रो की जरूरत थी परन्तु इनमे से दो अनुभव के लिए यात्रा कर रहे हैं जो एक वृतचित्र पर कार्य करेंगे ! ,अम्बेडकर विश्वविद्यालय उन चार छात्रो में से दो को water sampling और analysis का कार्य दिया गया हैं और पत्रकारिता के दोनों छात्रो में से एक रिपोर्टिंग और दुसरे  को कैमरा का कार्य दिया गया हैं !
चूँकि एक धार्मिक स्थल से यात्रा शुरू हो रही होती, तो पूजन का कार्य होता हैं ,
तिलक लगा कर सभी जल यात्रिओ को फूल माला पहनाया जाता हैं !
अपार जनसमूह एकत्रित होने के बाद भी कार्यकरता  की कमी रहती हैं सो अध्यन दल के छात्रो को थोडा मेहनत का कार्य करना पड़ता हैं !
यात्रा का  शुभारम्भ करने के लिए मुख्य अतिथ्ती के तौर पर काफी लोगो को एक साथ आमंत्रित किया गया गया था, सो कुछ मुख्य अतिथतियो की इस पर  नाराजगी खुल कर सामने आई !
परन्तु अपने चिर परिचित  अंदाज़ में ब्रिजेंद्रजी ने उन परिस्थितयो को अपने  कुशल प्रबंधन से सारा कार्य बहुत  प्रभाव पूर्ण तरीके से किया  ! 
लखनऊ के मेंयर दिनेश शर्माजी  यात्रा  का उद्घाटन किया और सफलता की कामना की!
 और इस तरह से यात्रा की शुरआत जय माँ गोमती के उद्घोष से  आरम्भ हुई!